नमस्कार। मैं डॉ. सर्वेश गुप्ता, आज 1 अगस्त को, विश्व फेफड़ों के कैंसर दिवस पर आपसे सीधे बात कर रहा हूँ। एक ऑन्को-सर्जन के तौर पर, यह दिन मेरे लिए सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक गंभीर चिंतन का अवसर है। मेरे पास हर दिन ऐसे मरीज़ आते हैं, जिनकी जिंदगियाँ फेफड़ों के कैंसर से प्रभावित होती हैं। इस बीमारी के बारे में कई भ्रांतियाँ और गलत धारणाएँ फैली हुई हैं, और यही जागरूकता की कमी अक्सर सही समय पर निदान और उपचार में सबसे बड़ी बाधा बन जाती है।
आज, इस विशेष दिन पर, मैं आपसे फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी कुछ सबसे आम भ्रांतियों को दूर करने और इसके बारे में सही जानकारी साझा करने आया हूँ।
भ्रांति 1: फेफड़ों का कैंसर केवल धूम्रपान करने वालों को होता है।
यह सबसे बड़ी और सबसे खतरनाक भ्रांति है। यह सच है कि धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है। हाल के वर्षों में मैंने डॉ. सर्वेश गुप्ता के तौर पर अपने अभ्यास में देखा है कि गैर-धूम्रपान करने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण। दिल्ली जैसे महानगरों में, हवा में मौजूद PM 2.5 और अन्य प्रदूषक तत्व फेफड़ों को उसी तरह नुकसान पहुँचा रहे हैं, जैसे सिगरेट का धुआँ। इसके अलावा, सेकेंड-हैंड स्मोकिंग, रेडॉन गैस, एस्बेस्टस और कुछ खास तरह के व्यावसायिक वातावरण में काम करना भी इसके जोखिम को बढ़ाता है।
मेरा आपसे आग्रह है कि इस बात को हमेशा याद रखें: फेफड़ों का कैंसर किसी को भी हो सकता है, चाहे वह धूम्रपान करता हो या नहीं।
भ्रांति 2: फेफड़ों के कैंसर का कोई इलाज नहीं है।
यह धारणा भी पूरी तरह से गलत है। पुराने समय में, जब हमारे पास सीमित उपचार विकल्प थे, तब ऐसा माना जाता था। लेकिन चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति ने इस धारणा को पूरी तरह से बदल दिया है। मेरे जैसे सर्जन और अन्य विशेषज्ञों के लिए आज कई उन्नत उपचार उपलब्ध हैं:
- सर्जरी: शुरुआती चरणों में, सर्जरी कैंसर के ऊतकों को पूरी तरह से हटाने का सबसे प्रभावी तरीका है।
- विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy): यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग करती है।
- टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy): यह एक क्रांतिकारी उपचार है, जो कैंसर कोशिकाओं के विशिष्ट जीन्स और प्रोटीन को लक्षित करता है। यह सामान्य कोशिकाओं को कम से कम नुकसान पहुँचाता है।
- इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): यह शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने के लिए मज़बूत करती है।
भ्रांति 3: फेफड़ों के कैंसर का पता जल्दी नहीं लग सकता।
यह भी एक गलत सोच है। जबकि फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर स्पष्ट नहीं होते, कुछ खास लोगों के लिए स्क्रीनिंग के तरीके उपलब्ध हैं। जो लोग लंबे समय से धूम्रपान कर रहे हैं (या करते थे), उनके लिए कम-खुराक सीटी स्कैन (Low-Dose CT Scan) एक प्रभावी स्क्रीनिंग उपकरण है। मेरे अनुभव में, इस तरह की स्क्रीनिंग से शुरुआती चरणों में ही कैंसर का पता लगाने में मदद मिलती है, जब इलाज की सफलता दर सबसे अधिक होती है।
भ्रांति 4: इसके लक्षण सामान्य बीमारियों जैसे ही होते हैं, इसलिए उन्हें अनदेखा कर सकते हैं।
फेफड़ों के कैंसर के कुछ शुरुआती लक्षण अक्सर सर्दी या फ्लू जैसे लग सकते हैं, इसलिए लोग उन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन कुछ ऐसे संकेत हैं जिन्हें बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए:
- तीन सप्ताह से ज़्यादा समय तक लगातार खाँसी।
- खाँसी के साथ खून आना।
- साँस लेने में तकलीफ़ या घरघराहट।
- सीने में लगातार दर्द।
- बेवजह वज़न घटना और थकान।
मेरा आपसे अनुरोध है, यदि आपको या आपके किसी परिचित को ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत एक विशेषज्ञ से परामर्श लेना बहुत ज़रूरी है। समय पर की गई जाँच जान बचा सकती है।
मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण: ऑन्को-सर्जरी के साथ एक नया जीवन
एक सर्जन के रूप में, मैंने डॉ. सर्वेश गुप्ता के रूप में कई ऐसे मरीज़ों को देखा है जो शुरुआती चरण में मेरे पास आए और आज एक सामान्य और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के साथ, सर्जरी अब केवल कैंसर को हटाने तक सीमित नहीं रही है। ऑन्को-प्लास्टिक और पुनर्निर्माण (reconstruction) तकनीकों के माध्यम से, हम न केवल कैंसर को हटाते हैं, बल्कि मरीज़ के जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं।
जैसा कि मैं ABSICON 2025 में अपने प्रेजेंटेशन “Reconstruction in Early Breast Cancer” की तैयारी कर रहा हूँ, मेरा मानना है कि यह सिद्धांत फेफड़ों के कैंसर पर भी लागू होता है: हर मरीज़ को सर्वोत्तम संभव उपचार और जीवन की सर्वोत्तम गुणवत्ता मिलनी चाहिए।
आप क्या कर सकते हैं?
आज, विश्व फेफड़ों के कैंसर दिवस पर, मैं डॉ. सर्वेश गुप्ता, आपसे एक संकल्प लेने का आग्रह करता हूँ:
- जागरूकता फैलाएं: फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी भ्रांतियों को तोड़ें और सही जानकारी लोगों तक पहुँचाएं।
- जोखिम कारकों को कम करें: यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो आज ही इसे छोड़ने का प्रण लें। अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए योगदान दें।
- शुरुआती जाँच को बढ़ावा दें: यदि आप या आपके परिचित किसी भी जोखिम वर्ग में आते हैं, तो नियमित जाँच को प्रोत्साहित करें।
- हिम्मत न हारें: यदि आप या आपके कोई प्रियजन इस बीमारी से लड़ रहे हैं, तो याद रखें कि आज उपचार के कई विकल्प उपलब्ध हैं। हिम्मत न हारें।
जैसा कि हम स्तन कैंसर के लिए “जीवन आशा पिंक कैंपेन” चला रहे हैं, उसी तरह हमें फेफड़ों के कैंसर के लिए भी जागरूकता की एक मुहिम चलानी होगी।
आपका स्वास्थ्य आपकी सबसे बड़ी संपत्ति है। इसे अनदेखा न करें।
आपका स्वास्थ्य, आपकी प्राथमिकता।
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